जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे तो उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि हम इस सृष्टि की रचना कर देंगे परंतु इस पर जीवन यापन के लिए कुछ सुविधाजनक वस्तु भी चाहिए इसी को देखते हुए भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति हुई। जिन्होंने इस सृष्टि के निर्माण में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
जिस दिन भगवान विश्वकर्मा जी की जन्म हुई उस दिन को विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जानते हैं। और पौराणिक कथाओं में यह भी उल्लेख किया गया कि भगवान विश्वकर्मा से बड़ा इस ब्रह्मांड में और कोई नहीं वास्तुकार है।
क्या आपको पता है पुराणों के के अनुसार विश्वकर्मा पूजा जिस दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। यह साल मैं दो बार मनाया जाता है। परंतु यह बात आप में से बहुत लोगों को यह जानकारी नहीं होगी इसलिए मैंने सोचा कि आपको बताते चालू और यह भी आपको बताऊंगा कि पहली बार और दूसरी बार कब-कब विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है और इसके पीछे का क्या कारण है।
विश्वकर्मा पूजा पहली बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की समाप्ति को मनाया जाता है और विश्कर्मा पूजा दूसरी बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाते हैं। हमारी पुरानी कथाओं के अनुसार यह बताया गया है, कि संसार का प्रत्येक निर्जीव वस्तु यानी जिसमें कोई जान ना हो उसकी रचना खुद भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से किए है।
इसी वजह से प्रत्येक वर्ष साल में एक बार विश्वकर्मा पूजा लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं और भगवान से आचना करते हैं कि हमारा व्यापार सुखी संपन्न चलता रहे और हमें कभी इन सारे वस्तुओं से हानि न पहुंचे।।
Biswakarma Puja 2022 – विश्वकर्मा पूजा कब है
साल 2022 में विश्वकर्मा पूजा दिन रविवार 17 सितंबर को मनाया जाएगा। प्रत्येक साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है।
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर क्यों मनाया जाता है
लगभग पिछले कई वर्षों से भगवान श्री विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर को ही होती है। लेकिन आपको बता दें। भारत के प्रत्येक पर्व हिंदी महीने से तिथि ज्ञात जाती है। परंतु जब विश्वकर्मा पूजा की बारी आती है तो यह हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है, इसके बारे में चलिए जानते हैं।
कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है। भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म इसी तिथि को हुआ था। जिसे यादगार बनाने के लिए हमलोगोंने विश्वकर्मा जयंती का भी नाम दिया और उस दिन दुकान दफ्तर और बड़े-बड़े संस्थाओं में भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से की जाती है। कर्नाटक, झारखण्ड, उड़ीसा, बिहार जैसे स्थानों पर विश्वकर्मा पूजा धूम धाम से मनाई जाती है।
Vishwakarma Puja 2022 का शुभ मुहूर्त
हमें यह तो मालूम है कि विश्वकर्मा पूजा किस तिथि को मनाया जाएगा। परंतु पूजा का फल जब भी मिलता है, जब उसे मुहूर्त में किया जाए।
इसीलिए लोग शादी में मुहूर्त का इंतजार बेसब्री से करते हैं। उसी तरह विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति महा पुण्य काल मैं मनाया जाता जिसकी शुरुआत 07:36 AM से 09:38 PM तक रहेगी। अगर इन शुभ मुहूर्त के बीच पूजन किया जाए तो पूजन का संपूर्ण फल मिलता है।
विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है
विश्वकर्मा पूजा मनाने का पीछे कोई बड़ा कारण तो नहीं है। परंतु जो लोग ईश्वर की प्रति श्रद्धा की भावना रखते हैं और जो लोग भगवान को मानते हैं और यह विश्वास रखते हैं कि जिस भी हालत में है वह ईश्वर का ही देन हैं।
कुछ बातें जानने योग्य
हिंदी ग्रंथों के अनुसार इस ब्रह्मांड में केवल तीन देवी देवता हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों के अलावा कोई और ईश्वर नहीं है, बाकी सारे देवता इन तीनों का अंश या उतार कह सकते हैं। उसी में से विश्वकर्मा जी भी भगवान शिव का अवतार है।
जब रामायण और कृष्ण लीला जैसे टीवी शो देखे होंगे तो वहां पर यह बताया जाता है कि भगवान राम और कृष्ण, विष्णु का अवतार है और महाबली हनुमान शिव का अवतार है। उसी तरह हमारे विश्वकर्मा भी अवतार है।
FAQ
Q : विश्वकर्मा की पत्नी का नाम क्या हैं?
Ans : सावित्री देवी
Q : भगवान विश्वकर्मा का जन्म कब हुआ था?
Ans : अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा
Q : विश्वकर्मा किस भगवान के अवतार हैं?
Ans : शिव का अवतार
Q : विश्वकर्मा के माता पिता का नाम क्या था?
Ans : पिता का नाम वास्तुदेव, और मां ना नाम अंगिरसी
Q: 2023 का विश्वकर्मा पूजा कब है ?
Ans : रविवार, 17 सितंबर
Q : विश्वकर्मा पूजा के दिन कोन सी परसाद अच्छी रहेगी?
Ans : ज्यादा तरफ भगवान विश्वकर्मा को लड्डू तथा मनभोग के साथ पंचामृत का प्रसाद चढ़ाते हैं।
Q.विश्वकर्मा जी कितना संतान और कौन-कौन
Ans : भगवान विश्वकर्मा की कुल 7 संतान थे जिनका नाम बृहस्मति, नल-निल, संध्या, रिद्धि, सिद्धि और चित्रांगदा
आज हमने क्या सीखा
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